Gangajal Vastu: गंगाजल घर में कैसे रखें? जानिए वास्तु के अनुसार सही दिशा और पात्र

गंगा नदी का महत्व सनातन धर्म में अत्यधिक है। गंगा का पवित्र जल, जिसे गंगाजल कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में अमृत तुल्य माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं, और इसे घर लाकर शुभ कार्यों में उपयोग करना अत्यंत लाभकारी होता है। चाहे पूजा-पाठ हो, शिवलिंग पर जल चढ़ाना हो, या किसी शुभ कार्य के पहले स्थान को शुद्ध करना हो, गंगाजल का महत्व हमेशा से सर्वोपरि रहा है। गंगाजल लाने के बाद इसे सही दिशा और पात्र में रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि इसका सही स्थान और पात्र का चयन न किया जाए तो यह अशुभ माना जा सकता है। आइए जानते हैं कि घर में गंगाजल कैसे रखें और इसके साथ जुड़े कुछ विशेष नियमों के बारे में।
1. गंगाजल का उपयोग और महत्व
गंगाजल का उपयोग धार्मिक और सामाजिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। पूजा-पाठ, सूर्य को अर्घ्य देना, और शिवजी पर जलाभिषेक के लिए गंगाजल का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, शुभ कार्य जैसे कि नवजात शिशु का स्वागत, गृह प्रवेश, मंदिर स्थापना और अन्य शुभ कार्यों में गंगाजल का छिड़काव किया जाता है। यही नहीं, मृत्यु के समय भी गंगाजल का इस्तेमाल व्यक्ति को मोक्ष दिलाने के लिए किया जाता है। पवित्र गंगाजल को घर में रखना संपूर्ण वातावरण को पवित्र और सकारात्मक बनाए रखता है।
2. गंगाजल किस पात्र में रखें?
गंगाजल को किसी भी सामान्य बर्तन में रखना उचित नहीं माना जाता है। अधिकतर लोग गंगा से पानी भरकर प्लास्टिक के डिब्बे या बोतल में लाते हैं, परंतु घर लाने के बाद उसे किसी शुद्ध धातु के पात्र में स्थानांतरित कर देना चाहिए। यह वास्तु और धार्मिक दृष्टि से शुभ माना गया है। प्लास्टिक के पात्र में गंगाजल रखने से इसकी ऊर्जा कम हो सकती है और यह अशुभ माना जाता है।
गंगाजल को रखने के लिए मिट्टी, तांबा, पीतल, कांसे, या चांदी के पात्र का उपयोग करना शुभ माना गया है। ये धातुएं अपनी स्वाभाविक शुद्धता के कारण गंगाजल को संरक्षित रखने में मदद करती हैं। इन धातु पात्रों में रखा गया गंगाजल लंबे समय तक शुद्ध रहता है और इस पर किसी प्रकार का दूषित प्रभाव नहीं पड़ता। यहां तक कि गंगाजल में कीटाणु भी नहीं पनपते और यह अमरत्व जैसा माना गया है।
3. गंगाजल रखने की दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, गंगाजल को हमेशा ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में रखना चाहिए। ईशान कोण को सभी शुभ और धार्मिक वस्तुओं के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। गंगाजल को इस दिशा में रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, और इससे घर के सभी सदस्यों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर ईशान कोण में गंगाजल रखना संभव न हो, तो आप इसे अपने घर के मंदिर में रख सकते हैं। इससे धार्मिक ऊर्जा संरक्षित रहती है और इसका प्रभाव भी उत्तम बना रहता है।
गंगाजल को रसोईघर या बेडरूम में न रखें। वास्तु शास्त्र में इसे अशुभ माना गया है और इससे घर के वातावरण में नकारात्मकता बढ़ सकती है। इसलिए इसे हमेशा साफ-सुथरी जगह पर रखना चाहिए।
4. गंगाजल का भंडारण और देखभाल
गंगाजल को हमेशा ढककर रखना चाहिए। इससे इसकी शुद्धता बरकरार रहती है। गंगाजल को रखने के लिए आप मिट्टी या धातु का पात्र चुन सकते हैं, लेकिन ध्यान दें कि वह साफ और शुद्ध हो। गंगाजल कभी खराब नहीं होता, लेकिन इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए इसे किसी दूषित या अस्वच्छ जगह पर न रखें। यदि गंगाजल को छूने के बाद या उसमें से निकालते समय कोई दूषित वस्त्र या अशुद्ध हाथ संपर्क में आ जाएं, तो गंगाजल की शुद्धता भंग हो सकती है।
5. गंगाजल का धार्मिक महत्व
धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है कि गंगाजल का छिड़काव नकारात्मकता को दूर करता है। यदि घर में किसी प्रकार का नकारात्मक प्रभाव हो, जैसे कि झगड़े, मनमुटाव, या किसी प्रकार की असहजता का माहौल हो, तो घर में गंगाजल का छिड़काव करना लाभकारी होता है। इसके साथ ही यह वातावरण को पवित्र बनाकर सुख-शांति और समृद्धि को आकर्षित करता है।
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