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Google को बड़ा झटका! Chrome ब्राउज़र को बेचने का दबाव डाल सकता है अमेरिका

Google को अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) से बड़ा झटका लग सकता है। DOJ गूगल की पैरेंट कंपनी Alphabet पर उसके लोकप्रिय वेब ब्राउज़र Chrome को बेचने का दबाव बना सकता है। यह मामला तब गंभीर हुआ, जब अदालत ने अगस्त 2023 में दिए गए एक फैसले में गूगल को बाजार में अपनी स्थिति का अनुचित लाभ उठाने का दोषी ठहराया। यदि यह कदम उठाया गया, तो यह तकनीकी क्षेत्र में किसी भी कंपनी के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा कानूनी कदम होगा।

क्या है मामला?

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी न्याय विभाग Alphabet को Chrome ब्राउज़र बेचने के लिए मजबूर कर सकता है। इस मामले में न्यायाधीश अमित मेहता महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वे गूगल को डेटा लाइसेंसिंग के लिए बाध्य कर सकते हैं और इसके Android ऑपरेटिंग सिस्टम को अन्य गूगल सेवाओं से अलग करने के लिए कह सकते हैं।

गौरतलब है कि गूगल पर पहले से ही आरोप है कि उसने अपने सर्च इंजन और विज्ञापन सेवाओं के जरिए बाजार में एकाधिकार स्थापित किया है। अदालत ने माना कि गूगल ने प्रतिस्पर्धा को खत्म करने और अपने दबदबे को बनाए रखने के लिए अपने प्लेटफॉर्म का गलत इस्तेमाल किया।

अदालत ने क्या कहा?

अगस्त 2023 में दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में अदालत ने कहा,
“सभी गवाहों और सबूतों का बारीकी से अध्ययन करने के बाद अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि गूगल एक एकाधिकारवादी कंपनी है। उसने अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए प्रतिस्पर्धा को खत्म करने का काम किया है।”

यदि इस मामले में Chrome को बेचने का आदेश जारी होता है, तो यह गूगल के लिए बड़ा झटका साबित होगा, क्योंकि यह ब्राउज़र उसकी सबसे महत्वपूर्ण संपत्तियों में से एक है और कंपनी के लिए बड़ी आय का स्रोत है।

ग्लोबल ब्राउज़र मार्केट में Chrome की स्थिति

वर्तमान में, Google Chrome का वैश्विक ब्राउज़र बाजार में 65% हिस्सा है, जो इसे सबसे लोकप्रिय ब्राउज़र बनाता है। इसके मुकाबले, Apple Safari 21% मार्केट शेयर के साथ दूसरे स्थान पर है।

Android ऑपरेटिंग सिस्टम पर भी असर

गूगल को अपने Android ऑपरेटिंग सिस्टम को अन्य सेवाओं से अलग करने का भी आदेश दिया जा सकता है। अभी, जब कोई उपभोक्ता Android स्मार्टफोन खरीदता है, तो उसमें गूगल की कई सेवाएं, जैसे Google Search, Gmail और Google Play Store, प्री-इंस्टॉल्ड होती हैं। लेकिन भविष्य में गूगल को इन सेवाओं को अलग से उपलब्ध कराने का विकल्प देना पड़ सकता है।

क्या हो सकता है आगे?

जज अमित मेहता इस मामले में अगस्त 2025 तक अंतिम फैसला सुना सकते हैं। इसके बाद गूगल को इस फैसले के खिलाफ अपील करने का अधिकार होगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गूगल को Android OS के साथ सर्च इंजन और अन्य सेवाओं को जोड़ने की अपनी नीति में बदलाव करना पड़ सकता है।

राजनीतिक पहलू भी हो सकता है अहम

गूगल के खिलाफ यह मामला डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल में शुरू हुआ था और फैसला बाइडेन प्रशासन में आया। यदि डोनाल्ड ट्रंप 2024 के चुनाव में दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो इस मामले में बड़ा उलटफेर हो सकता है। ट्रंप प्रशासन ने इस केस की शुरुआत में गूगल पर कड़ी कार्रवाई का समर्थन किया था।

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Sai Chandhan

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